दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनकर तैयार है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अक्टूबर को इस प्रतिमा का उद्घाटन करेंगे. यह मूर्ति सरदार वल्लभ भाई पटेल की है, जो हमेशा जमीन से जुड़े रहे और अब वे आसमान की भी शोभा बढ़ाएंगे. आइए जानते हैं इस मूर्ति की 11 खास बातें, जो आप शायद ही जानते होंगे...
- मूर्ति की लंबाई 182 मीटर है और यह इतनी बड़ी है कि इसे 7 किलोमीटर की दूरी से भी देखा जा सकता है. बता दें कि 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' ऊंचाई में अमेरिका के 'स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी' (93 मीटर) से दोगुना है.
- इस मूर्ति में दो लिफ्ट भी लगी है, जिनके माध्यम से आप सरदार पटेल की छाती पहुंचेंगे और वहां से आप सरदार सरोवर बांध का नजारा देख सकेंगे और खूबसूरत वादियों का मजा ले सकेंगे. सरदार की मूर्ति तक पहुंचने के लिए पर्यटकों के लिए पुल और बोट की व्यवस्था की जाएगी.
फौलादी है 'सरदार' का स्टैच्यू, सह सकता है भूकंप के इतने झटके
- इंजीनियर्स ने इस मूर्ति के कंस्ट्रक्शन को चार चरणों में पूरा किया गया है. जो इस प्रकार है:- (1)मॉक-अप, (2)3डी (3)स्कैनिंग तकनीक, (4)कंप्यूटर न्यूमैरिकल कंट्रोल प्रोडक्शन तकनीक. वहीं मूर्ति के नीचे के हिस्से को ऊपर के हिस्से की तुलना में थोड़ा पतला किया गया है. मूर्ति के निर्माण में सबसे बड़ी चुनौती इसे भूकंप और अन्य आपदा से बचाव करना था.
- आपको बता दें, यह स्टैच्यू 180 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाली हवा में भी स्थिर खड़ा रहेगा. यह 6.5 तीव्रता के भूकंप को भी सह सकता है. इस मूर्ति के निर्माण में भारतीय मजदूरों के साथ 200 चीन के कर्मचारियों ने भी हाथ बंटाया है. इन लोगों ने सितंबर 2017 से ही दो से तीन महीनों तक अलग-अलग बैचों में काम किया.
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- बता दें, इसके लिए मूर्ति के 3 किलोमीटर की दूरी पर एक टेंट सिटी भी बनाई गई है. जो 52 कमरों का श्रेष्ठ भारत भवन 3 स्टार होटल है. जहां आप रात भर रुक भी सकते हैं. वहीं स्टैच्यू के नीचे एक म्यूजियम भी तैयार किया गया है, जहां पर सरदार पटेल की स्मृति से जुड़ी कई चीजें रखी जाएंगी.
- मूर्ति के निर्माण के लिए केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद अक्टूबर 2014 मेंलार्सन एंड टूब्रो कंपनी को ठेका दिया गया था. माना जा रहा है कि इसके निर्माण में करीब 3000 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. आपको बता दें, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के ऊपर जाने के लिए लिफ्ट लगेगी.
- 5700 मीट्रिक टन स्ट्रक्चरल स्टील और 18500 मीट्रिक टन रिइनफोर्समेंट बार्स से बनी इस मूर्ति में लेजर लाइटिंग लगेगी, जो इसकी रौनक हमेशा बनाए रखेगी. इस मूर्ति तक आपको नांव के जरिए पहुंचना होगा. एक दैनिक अखबार के मुताबिक, इसका दीदार करने के लिए 300 रुपये फीस का भुगतान भी करना होगा.
- सरदार वल्लभ भाई पटेल की इस मूर्ति में 4 धातुओं का उपयोग किया गया है जिसमें बरसों तक जंग नहीं लगेगी. स्टैच्यू में 85 फीसदी तांबा का इस्तेमाल किया गया है.
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- दिखने में जितनी खास ये प्रतिमा है, उतनी ही खास इसकी बनावट है. यह कॉम्पोजिट प्रकार का स्ट्रक्चर है और सरदार पटेल की मूर्ति के ऊपर ब्रॉन्ज की क्लियरिंग है. इस प्रोजेक्ट में एक लाख 70 हजार क्यूबिक मीटर कॉन्क्रीट लगा है. साथ ही दो हजार मीट्रिक टन ब्रॉन्ज लगाया गया है.
- इसके अलावा 5700 मीट्रिक टन स्ट्रक्चरल स्टील और 18500 मीट्रिक टन रिइनफोर्समेंट बार्स भी इस्तेमाल किया गया है. यह मूर्ति 22500 मीट्रिक टन सीमेंट से बनी है. इस विशाल प्रतिमा की ऊंचाई 182 मीटर है. इस मूर्ति को बनाने में करीब 44 महीनों का वक्त लगा है.
- इस लौह पुरुष की मूर्ति के निर्माण में लाखों टन लोहा और तांबा लगा है और कुछ लोहा लोगों से मांगकर लगाया है. इस मूर्ति को बनाने के लिए लोहा पूरे भारत के गांव में रहने वाले किसानों से खेती के काम में आने वाले पुराने और बेकार हो चुके औजारों का संग्रह करके जुटाया गया. इसके लिए एक ट्रस्ट भी बना "सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय एकता ट्रस्ट". इसकी नींव 2013 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी.
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